भोपाल। 2-3 दिसंबर 1984 की रात और उसके कई सालों तक भोपाल की जनता ने गैस कांड की जो त्रासदी झेली, उसकी भयावहता की दुनिया गवाह है। यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से लीक हुई गैस ने पूरे भोपाल की आवोहवा जहरीली कर दी थी।
इस घटना के लिए जो जिम्मेदार थे, उन्हें बचाने के लिए जो कुछ भी 7 दिसंबर को हुआ, उसका सच अब सामने आया है। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने शनिवार को गैस पीडि़त संगठनों की ओर से पेश निजी इस्तगाशे पर यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन रहे वॉरेन एंडरसन को भगाने में मदद करने पर तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह और पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को कहा है। 7 दिसंबर की रात जो कुछ भी हुआ, उसकी पूरी कहानी में इन दोनों की जो भूमिका रही, उसका सच अब सामने आया है।
स्वराजपुरी लेकर पहुंचे थे एयरपोर्ट
एंडरसन को तत्कालीन एसपी स्वराज पुरी शाम करीब 4 बजे रेस्ट हाउस से खुद की गाड़ी में एयरपोर्ट लेकर पहुंचे, जहां पहले से खड़े विमान से एंडरसन पहले दिल्ली और फिर अमेरिका भाग गया। दूसरी ओर पुलिस ने महिंद्रा और गोखले को 7 दिसंबर 1984 की शाम कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया।
गिरफ्तारी पंचनामे में यह स्पष्ट उल्लेख है कि एंडरसन को भादंवि की धारा 304 के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी पंचनामे को राकेश कुमार आत्मज रामनिवास निवासी बरखेड़ा के समक्ष बनाया गया था।
ये हुए थे गिरफ्तार
पंचनामे में उल्लेख है कि अपराध क्र. 1104/84, भादंवि की धारा 304, 304 ए, 284, 120बी, 278, 429, 436 और 92 फैक्ट्री एक्ट के अंतर्गत यूनियन कार्बाइड कार्पाेरेशन अमरीका के अध्यक्ष वारेन एम एंडरसन आत्मज स्व.जॉनमार्टन एंडरसन उम्र 63 वर्ष निवासी 54 ग्रेनिज हिल्स यूएसए, यूका के चेयरमैन केशव महिंद्रा निवासी पेडर रोड बॉम्बे व एमडी विजय गोखले निवासी बॉम्बे को गिरफ्तार कर रेस्ट हाउस में रखा गया।
भोपाल गैस त्रासदी में जहरीली गैस से हुईं हजारों मौतों को लेकर हनुमानगंज पुलिस ने भादंवि की धारा 304, 304ए, 284, 120 बी, 278, 429, 436 और 92 फैक्ट्री एक्ट के तहत यूनियन कार्बाइड यूएसए के चेयरमैन वारेन एम एंडरसन, अध्यक्ष केशव महिंद्रा, एमडी विजय गोखले सहित यूका के तत्कालीन भोपाल में पदस्थ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
इस टीआई ने पहुंचाया रेस्ट हाउस
एंडरसन, महिंद्रा और गोखले तीनों 7 दिसंबर की सुबह करीब 10 बजे एक ही विमान से एयरपोर्ट पहुंचे थे। तीनों को भोपाल एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया था। हनुमानगंज के तत्कालीन टीआई सुरेंद्र सिंह तीनों को लेकर श्यामला हिल्स स्थित यूका के रेस्ट हाउस पहुंचे।
वहां तीनों का गिरफ्तारी पंचनामा बनाया गया। एंडरसन को गैरकानूनी रूप से निजी मुचलके और जमानताना पर छोड़ दिया गया। सिर्फ गिरफ्तारी पंचनामे पर एंडरसन के हस्ताक्षर लिए गए थे, जबकि निजी मुचलके, जमानतनामे पर हस्ताक्षर नहीं लिए गए।
नहीं हैं एंडरसन के दस्तखत
निजी मुचलके में उल्लेख है कि ‘मैं वारेन एम एंडरसन आत्मज स्व. जॉन मार्टन एंडरसन उम्र 63 वर्ष निवासी 54 ग्रेनिज हिल्स यूएसए का हूं। मुझे हनुमानगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया, इकरार करता हूं कि पुलिस या अदालत के हुक्म दिए जाने पर ही देश छोड़ूंगा।’
इस निजी मुचलके पर एंडरसन के दस्तखत ही नहीं हैं। वहीं यूका के जनरल एकाउंटेंट एएम कुरुविला के जमानत नामे पर एंडरसन को छोड़ा गया। इस पर भी एंडरसन के हस्ताक्षर नहीं है। एंडरसन के निजी मुचलके और जमानतनामे में जिस जगह धाराएं अंकित हैं उसमें छेड़छाड़ स्पष्ट नजर आ रही है।
गैस पीडि़त बोले…
”फैसला स्वागत योग्य है। गैस कांड के मुख्य आरोपी को भगाने में जिन लोगों ने घोर लापरवाही बरती उन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। ये उस दिशा में एक कदम है।”
– बाल कृष्ण नामदेव, अध्यक्ष भोपाल गैस पीडि़त निराश्रित पेंशन भोगी मोर्चा
”गैस कांड के मुख्य आरोपी को बचाने की साजिश थी, जिसका हिस्सा भारतीय नेता और अधिकारी बने। इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाना चाहिए। यह बहुत पहले हो जाता है। गैस कांड के दोषियों को सजा दिलाने में यह मददगार होगा।”
– साधना कार्णिक, अध्यक्ष भोपाल गैस पीडि़त संघर्ष मोर्चा
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